Description
“भक्ति अँजुरी” एकीभाव स्तोत्र जैन भक्ति कोष की एक प्रतिनिधि रचना है। इसका भाषालालित्य, शब्द चयन, भाव एवं काव्य सौंदर्य अनूठा है। गूढ़ एवं रहस्यपूर्ण अर्थों से संपन्न होने के कारण से जन सामान्य में ये इतना लोकप्रिय नहीं हो पायी जितनी आचार्य मानतुंग की अमर निधि भक्तामर स्तोत्र। लेकिन क्लिष्टतम विषयों को सहजतम करने के अद्भुत कौशल के धारी मुनिश्री क्षमासागर जी का जब एकीभाव स्तोत्र पर व्याख्यान पढ़ते हैं तो लगता है कि ये कितना सरल है। मुनिश्री का गूढ़ार्थों के सहजीकरण का कौशल आश्चर्यकारी है। बहुत ही सरल से उदाहरणों के माध्यम से अत्यंत गहरी बात को वे ह्रदय में उतार देते हैं।
मुनिश्री का स्वयं का जीवन भक्ति एवं समर्पण का उदाहरण रहा है। उनके मुखारबिंद से एकीभाव सुनना, वक्ता के तद्गुणधारी होने से, एक भावनात्मक अनुभव है।